उपलब्धि: वोह घाटी के विनोद वशिष्ठ बीएसएफ में बने एएसआई 

Spread the love

आवाज़ ए हिमाचल

बबलू सूर्यवंशी, शाहपुर। पसीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादें को, उनके मुक्कद्दर के सफ़ेद पन्ने कभी कोरे नहीं होते… इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है वोह घाटी के विनोद वशिष्ठ ने।

जी, हां विधानसभा क्षेत्र शाहपुर की वोह घाटी के दूरदराज गांव रौण के विनोद वशिष्ठ ने बीएसएफ में असिस्टेंट स० इन्सपेक्टर (मिनिस्ट्रियल) पदोन्नति पाकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है।

बता दें कि विनोद वशिष्ठ जुलाई 2016 में डायरेक्ट हवलदार मिनिस्ट्रियल कैडर में भर्ती हुए थे। लगातार आठ वर्ष के बाद कड़ी मेहनत और लग्न की बदौलत वह अब असिस्टेंट स० इन्सपेक्टर (मिनिस्ट्रियल) बने हैं ।

वोह घाटी के जनजातीय क्षेत्र और ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े धारकंडी के विनोद वशिष्ठ की स्कूली शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला हार वोह में हुई। उसके बाद उन्होंने बीबीए 2013 और एमबीए 2015 में चंडीगढ़ से की है। एक साल के भीतर वह बीएसएफ में भर्ती हो गए। हालांकि विनोद वशिष्ठ  का सपना अध्यापक बनना था। वह पढ़ाई के साथ बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें सेना की ओर खींच लिया।

विनोद वशिष्ठ की माता वीना देवी और पिता राजू वशिष्ठ को बेटे की उपलब्धि पर नाज है। विनोद वशिष्ठ के पिता राजू वशिष्ठ पेशे से लोक गायक और माता गृहणी हैं। विनोद वशिष्ठ अपनी उपलब्धि का श्रय अपने माता पिता और गुरुजनों को देते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे आप किसी भी क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो उसमें आगे बढ़ने का एक मात्र रास्ता आपकी मेहनत और लग्न ही होती है।

स्कूल पहुंचने के लिए रोजाना पैदल चलते थे 8-10 किलोमीटर

बता दें कि वोह घाटी के गांव रौण के विनोद वशिष्ठ की स्कूली शिक्षा बेहद ही विकट परिस्थिति में हुई है। उन्हें रोजाना हार वोह स्कूल एवं घर पहुंचने के लिए 8-10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। लेकिन हर विकट परिस्थिति उनकी मेहनत और लग्न के आगे बौनी साबित हुई। आज इसका प्रत्यक्ष प्रमाण विनोद वशिष्ठ खुद हैं।

 

आजादी के 78 साल के बाद भी बोह घाटी के गाँव रौण के लोग सड़क की सुविधा से वंचित

गांव रौण के हर घर से  एक ना एक सदस्य या तो सेना, अर्धसैनिक बल एवं अन्य सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। अपितु, यहां आज सबसे बड़ी विडंबना ये है कि आजादी के 78 साल बाद भी गांव रौण के लिए सड़क तो दूर की बात है लेकिन चलने योग्य पक्का रास्ता तक नहीं है। सड़क सुविधा नहीं होने के कारण इस गांव के अधिकतर परिवार आज पलायन करने के लिए मजबूर हो चुके हैं। इसको लेकर सभी गांव वासियों  के मन में सरकारी तंत्र के प्रति मलाल भी है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *