आवाज ए हिमाचल
जतिन लटावा,जोगिंद्र नगर
28 जून। हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष एवं जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने प्रदेश सरकार से मांग की है की आशा वरकर्ज़ के मानदेय में पिछले साल जो 750 रूपये प्रति माह की वृद्धि की थी उसके अनुसार उनको तुरंत भुगतान किया जाये। उन्होंने कहा कि वैसे तो प्रदेश भर में सभी फ्रंट लाइन वर्कर्स का योगदान अविस्मरणीय है, लेकिन बहुत कम मानदेय पा कर भी जितना कठिन और पेचीदा कार्य आशा वरकर्ज़ ने किया है उसकी जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है। कोविड की पहली लहर के दौरान जब हर कोई मरीज के घर और आँगन में जाने से भी कतराते थे तो ये सिर्फ और सिर्फ आशा वरकर्ज़ ही थी जिन्होंने दिन रात इस काम को बखूबी अंजाम दिया। यही नहीं होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की निगरानी का जिम्मा भी आशा वर्कर्स के ही हवाले था। एक समय ऐसा भी था जब आशा वर्कर्स ने अपनी ड्यूटी निभाते हुए कुछ लोगों की गालियां भी सहन की। कुशाल भारद्वाज ने कहा कि अधिकांश आशा वर्कर्स गरीब परिवारों से हैं और उनका मासिक मानदेय भी मात्र 2000 रूपये है, जिस से निश्चित ही उनका घर परिवार की गुजर बसर नहीं हो सकती है। यदि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान आशा वर्कर्स ने अपनी ज़िंदगी को जोखिम में डाल कर दिन रात कमान न संभाली होती तो सरकार का सारा तंत्र ही पंगू हो जाता। कोरोना की इस लहर के दौरान आशा वर्कर्स के योगदान को कोई भी भुला नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन वर्कर्स को हमारी सरकार मात्र 2000 रूपये का मासिक मानदेय दे रही है। उससे भी ज्यादा पीड़ा इस बात की होती है कि इनके मानदेय में जो 750 रूपये की बढ़ोतरी की गई है उसका भुगतान एक साल पूरा होने पर भी नहीं किया गया है। प्रदेश सरकार ने इस साल स्पेशल कोरोना ड्यूटि हेतु 2 महीने के लिए 1500 रूपये प्रति माह देने की भी घोषणा की थी, लेकिन उसका भी भुगतान अभी तक नहीं किया है। इससे पता चलता है कि सरकार का कोरोना योद्धाओं के प्रति क्या नजरिया है।