आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा,बिलासपुर
25 फ़रवरी।योग में वैज्ञानिक अनुसंधान की भूमिका पर विचार-विमर्श करने,योग और योग नीतियों के सतत विकास और योग की प्राचीन प्रणाली का ज्ञान पूरे भारत और विश्व स्तर पर व्यवस्थित रूप से साझा करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग ने इस भव्य कार्यक्रम की मेजबानी की।आर्ट ऑफ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में योग नीतियों और अनुसंधान पर भारतीय योग एसोसिएशन के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में योग के क्षेत्र के प्रसिद्ध विद्वानों, शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के साथ-साथ भारत के 25 राज्यों से योग परिषदों की भागीदारी हुई। इस अवसर परवैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु तथा आईवाईए के अध्यक्ष गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर,ने कहा कि”योग सदियों से मौजूद है, लेकिन इंडियन योग एसोसिएशन इसकी वैज्ञानिक व्याख्या हर जगह पंहुचा रहा है।गुरुदेव ने आगे कहा कि “हमें अपनी यौगिक परंपराओं के सार को शुद्ध और अक्षुण्ण बनाए रखने की आवश्यकता है।गुरुदेव ने साझा किया कि जीवन में तीन सी का होना महत्वपूर्ण है।पहला कॉन्टेक्स्ट यानि जीवन को एक विशाल दृष्टिकोण से, एक विशाल संदर्भ में देखना, दूसरा कंपेशन स्वयं और दूसरों के प्रति करुणा; तथा तीसरा कमिटमेंट जीवन में प्रतिबद्धता- ये सब जीवन में योग के साथ ही आ सकते हैं।
कॉन्क्लेव के उदघाटन में पद्मश्री डॉ. एचआर नागेंद्र ,आईवाईए के गवर्निंग काउंसिल सदस्य डॉ. बसव रेड्डी, मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, आयुष मंत्रालय,भारत सरकार के पूर्व निदेशक,अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य लोकेश मुनि,स्वामी आत्मप्रियानंद सुबोध तिवारी,माँ हंसा, भारतीय योग संघ की अध्यक्षा, डॉ. आनंद बालयोगी संयुक्त सचिव आई.वाई.ए,l, डॉ एसपी मिश्रा, सीईओ,आई.वाई.ए, डॉ मंजूनाथ एन.के.आई.वाई.ए में रिडिर्च कमेटी के निदेशक तथा श्रीमती कमलेश बरवाल तथा पिछले 20 वर्षों से भारत तथा विश्व के अन्य देशों में योग ट्रेनर शामिल रहे।इस कार्यक्रम में अनुसंधान के क्षेत्र में 3 एमओयू पर भी हस्ताक्षर होंगे। यह जानकारी आर्ट ऑफ लिविंग बिलासपुर हिमाचल के जिला मीडिया कोर्डिनेटर अरुण डोगरा रीतू ने दी।