आवाज ए हिमाचल
19 दिसंबर।हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि कोई उम्मीदवार आवेदन करते समय आरक्षण का विकल्प नहीं चुनता है, तो चयन प्रक्रिया शुरू होने या असफल होने के बाद वह आरक्षित श्रेणी के आधार पर नियुक्ति का दावा नहीं कर सकता।न्यायाधीश रंजन शर्मा की अदालत ने कहा कि जिस मामले में विज्ञापन में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान था, वहां याचिकाकर्ता ने स्वयं सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में आवेदन किया और ओबीसी प्रमाणपत्र भी आवेदन के साथ संलग्न नहीं किया। ऐसे में बाद में आरक्षण का लाभ मांगना कानूनन स्वीकार्य नहीं है।मामले में याचिकाकर्ता बलजिंदर कौर ने ओबीसी श्रेणी के तहत नियुक्त उम्मीदवार की नियुक्ति को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंध रखती है और उसे आरक्षित पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए था।अदालत ने पाया कि जिस उम्मीदवार को ओबीसी श्रेणी में नियुक्त किया गया, उसके पास सभी आवश्यक योग्यता और वैध प्रमाणपत्र थे, इसलिए उसकी नियुक्ति पूरी तरह वैध है। कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवारों को अपनी श्रेणी का चयन और संबंधित दस्तावेज आवेदन जमा करते समय ही प्रस्तुत करने होंगे।हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि सामान्य श्रेणी में भाग लेने के बाद आरक्षित पद पर दावा करने का कोई अधिकार नहीं बनता।