आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। घुमारवीं के अंबेडकर भवन में शनिवार को अनुसूचित जाति, जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रदेशाध्यक्ष हीरामणी भारद्वाज ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। अपने संबोधन में प्रदेशाध्यक्ष हीरामणी भारद्वाज ने कहा कि मोर्चा का मुख्य उदेश्य देश की एकता, अखंडता और भाईचारे को बनाए रखना है। देश की सुरक्षा सर्वोपरि है किंतु समाज के भीतर कई ऐसी ताकतें हैं जो अपने ही हिंदु समाज को खोखला करने पर आमादा है।
उन्होंने कहा कि कुछ वर्ग मनुवादी सोच को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। जो आपस में जातिवादी की खाई को और बढ़ा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस और भाजपा का मनुवादी नेटवर्क देश में अराजकता का माहौल पैदा कर रहा है, जिसका मोर्चा हर मंच पर इसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है। बाबा साहेब डा. बीआर अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान की रक्षा के लिए हर स्तर पर आगे आएंगे। उन्होंने कहा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। किंतु आजादी के 75 साल पूरे होने के बावजूद देश से छुआछूत, जातिगत भेदभाव और उंच नीच के खाई मिटने की अपेक्षा और गहरी होती जा रही है जो कि आने वाले समय में देश के लिए और मोर्चा के लिए कोई अच्छे संकेत नहीं है।
प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। सभी कहते हैं कि हम हिंदु हैं, लेकिन हम कौन से प्रकार के हिंदु है, यह आज दिन तक साफ नहीं हो पाया है। दलितों, पिछड़ों को मंदिरों में जाने से रोका जाता है, सार्वजनिक स्थलों पर पानी तक भरने नहीं दिया जाता है। विवाह, मांगलिक या अन्य कार्यक्रमों में एक पंक्ति में यदि दलित या पिछड़े लोग बैठ जाएं तो गुनाह हो जाता है, यहां तक की मरने के बाद भी चिताएं अलग जलाई जाती हैं। सरकार के पैसे से बने श्मशानघाट मरने के बाद भी अछूत हो जाते हैं। इस विडंबना और अवधारणा की पशोपेश में जी रहा यह समाज आखिर किस हैसियत से स्वयं को हिन्दू मानें। यह बड़ा प्रश्न है। कार्यक्रम के अंत में संविधान की शपथ भी दिलाई गई।