आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। लंबे इंतजार के बाद फोरेस्ट क्लीयरेंस में नेशनल हाई-वे को बड़ा फायदा मिला है। पाइपलाइन में फंसे करीब आधा दर्जन मामलों की फाइलें क्लीयर हो गई हैं। शिमला-मटौर, पठानकोट-मंडी और कालका-शिमला में अब फोरलेन निर्माण का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है। अब इन इन तीनों एनएच पर वन विभाग की जमीन को एनएचएआई के नाम ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। राजस्व विभाग मोर्चा संभालेगा और उसके बाद निर्माण के लिए आगामी कदम उठाए जाएंगे। करीब आठ एनएच पैकेज साल की शुरुआत से ही फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए कतार में थे।उनमें से अभी तक सात को मंजूरी मिल गई है। जिन्हें मंजूरी मिली है, उनमें शिमला-मटौर एनएच पर हमीरपुर बाइपास के लिए 13 हेक्टेयर वन भूमि में फोरलेन निर्माण की मंजूरी शामिल है। इसी मार्ग पर दूसरे पैकेज चिलबाग (हमीरपुर) से भंगवार (ज्वालामुखी) तक 2.2 हेक्टेयर वन भूमि को स्टेज वन की अप्रूवल दे दी गई है। इसके साथ ही पठानकोट-मंडी एनएच पर सियूणी से रजोल तक 7.8 हेक्टेयर भूमी पर फोरलेन निर्माण को फोरेस्ट क्लीयरेंस मिल गई है। इस मार्ग पर थानपुरी से परौर तक के हिस्से में केंद्र सरकार ने मंजूरी की हामी भरी है। थानपुरी से परौर तक 16 हेक्टेयर जमीन का मामला क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तावित किया गया है। इस हिस्से की जो फाइल बनाकर पर्यावरण मंत्रालय को भेजी गई थी, उसमें कोई भी आपत्ति दर्ज नहीं हुई है। इससे संभावना जताई जा रही है कि इसी महीने के अंत तक फोरलेन निर्माण को मंजूरी मिल जाएगी।
एनएचएआई को बड़ी राहत कालका-शिमला एनएच पर भी मिली है। यहां सोलन से कैंथलीघाट तक अतिरिक्त जमीन के अधिग्रहण का मामला लंबित था। इससे एनएचएआई ने फोरलेन के तय समय में तैयार होने की संभावना पर शंका जताई थी। अब केंद्र सरकार ने अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के बाद श्रीनगर के आसपास के क्षेत्र में डंपिंग साइट को विकसित किया जा सकेगा। इसके साथ ही कैंथलीघाट से ढली तक एनएच के तीसरे हिस्से में भी कैंथलीघाट से शकराल तक स्टेज-दो की अप्रूवल मिल गई है। जबकि शकराल से ढली तक की मंजूरी इसी महीने आने की संभावना जताई जा रही है। फोरेस्ट क्लीयरेंस में इन मंजूरी के बाद एनएच के ज्यादातर हिस्सों की स्थिति साफ हो गई है।