आदर्श समाज व आदर्श जीवन के लिए भगवान राम के चरित्र को अपनाएं: स्वामी नित्यानंद गिरि

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आवाज़ ए हिमाचल 

नादौन। नादौन के समीप फतेहपुर (भूम्पल) में स्थित परम पूज्य मौनी बाबा कुटिया में चल रही नृसिंह पुराण की कथा के तृतीय दिवस ऋषिकेश से आए हुए स्वामी नित्यानंद गिरि ने भगवान श्री राम के आदर्श जीवन और सिद्धांतों का भाव विस्तार के साथ वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान राम को यूं ही मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं कहा जाता बल्कि उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन सार में उस मर्यादा और आदर्शों का अनुपालन किया है तथा जीव मात्र को जीवन के सिद्धांतों से अवगत करवाया है। भगवान राम एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श राजा, आदर्श भ्राता, आदर्श पिता सहित आदर्श जीवन को जीने वाले सब मनुष्यों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। भगवान वाल्मीकि की रामायण, तुलसीदास के रामचरितमानस सहित अन्य पौराणिक ग्रंथों में भी भगवान राम की महिमा का वर्णन सर्वत्र उपलब्ध होता है, यही उनकी गूढ़ महिमा का रहस्य है।

उन्होंने बताया कि रामायण, पुराण आदि ग्रंथों को घर में रखकर पूजा मात्र कर लेने से ही उनके जीवन चरित्र और सिद्धांतों को समझा या अपनाया नहीं जा सकता है अपितु स्वाध्याय करके इन सभी ग्रंथों का सनातन धर्मावलंबियों को पठन-पाठन करना परम आवश्यक है, जिससे एक आदर्श समाज की स्थापना होगी। भगवान राम के जीवन सार में ही मनुष्य मात्र के संपूर्ण जीवन का सार निहित है।

 इस पौराणिक कथा के दौरान बहुत से लघु बालक और बालिकाओं गीता श्लोकों के पठन पाठक को भी सीख रहे हैं। इस गीता बालसंस्कार में लगभग 50 बच्चे लगातार गीता किस लोगों का पठन और वाचन करते हैं। उन्होंने बताया गीता एक अद्भुत ग्रंथ है तथा हर मनुष्य को गीता अवश्य पढ़नी चाहिए।

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