आवाज़ ए हिमाचल
यशपाल ठाकुर, परवाणू। सोलन जिला प्रशासन के समक्ष नगर परिषद परवाणू के अध्यक्ष उपाध्यक्ष के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव कोई मायने नहीं रखता। यहां न तो कानून, नियमों का कोई महत्व है और न ही चुने हुए प्रतिनिधियों के पद की कोई गरिमा। हालात यह है कि परवाणू नगर परिषद परवाणू के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को एक माह से भी अधिक का समय हो गया है, लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। अविश्वास प्रस्ताव बाबजूद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष अपना कार्यभार संभाले हुए है।
यहां बता दें कि 12 जनवरी को कसौली कांग्रेस के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष ठाकुर दास शर्मा ने अन्य पांच पार्षदों के साथ अपनी ही पार्टी की अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उपायुक्त कृतिका कुलहरी को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा था। अहम यह है कि ठाकुर दास शर्मा के साथ तीन कांग्रेस व दो भाजपा के पार्षदों ने उपायुक्त के समक्ष हाजिर होकर अविश्वास प्रस्ताव दिया था। छह पार्षदों द्वारा सौंपे गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष अल्पमत में चले गए है, लेकिन बाबजूद इसके आज तक न तो अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कोई बैठक हो पाई है और न ही चुनाव।
बताया जा रहा है कि नगर परिषद परवाणू में पिछले काफी समय से पार्षदों के बीच सामंजस्य नहीं बन पा रहा था। नगर परिषद के अधिकांश पार्षद नगर परिषद के कार्यो से सम्बंधित बैठकों का बहिष्कार कर रहे थे। इससे काफी समय से परवाणू में चर्चाओ का बाज़ार गर्म था। परवाणू नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष व वार्ड नंबर 6 के पार्षद ठाकुर दास शर्मा, वार्ड 2 के पार्षद लखविंदर सिंह, वार्ड तीन की पार्षद किरण चौहान, वार्ड 4 की पार्षद चन्द्रावती देवी, वार्ड नंबर 7 के पार्षद रणजीत सिंह ठाकुर व वार्ड नंबर 8 की पार्षद मोनिशा शर्मा ने डीसी सोलन से उनके कार्यालय में जाकर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले 6 पार्षदों में 4 कांग्रेस समर्थक व 2 भाजपा समर्थक पार्षद है। नगर परिषद के चुनावों में कांग्रेस 6 जबकि भाजपा समर्थक 3 पार्षद जीत कर आए थे, जिसके बाद कांग्रेस समर्थकों की आपसी सहमति से वार्ड नंबर 9 की पार्षद निशा शर्मा को अध्यक्ष व वार्ड नंबर 5 की पार्षद सोनिया शर्मा को उपाध्यक्ष बनाया गया था। अभी चुनाव हुए दो वर्ष ही हुए है की पार्षद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कार्यप्रणाली से रुष्ट हो गए है। भाजपा समर्थक पार्षद तो दूर की बात कांग्रेस समर्थित पार्षद भी इन दोनों की कार्यप्रणाली से नाराज हो गए है। डीसी सोलन को सौंपे अविश्वास प्रस्ताव में पार्षदों ने आरोप लगाया था कि नप परवाणू के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष नियमों व कानून के दायरे में काम नहीं कर रहे हैं, वे अपनी शक्तियों का दुरूपयोग कर रहे हैं, जिसके चलते वे अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे है। अतः हम 6 पार्षद नप परवाणू के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर विश्वास खो चुके है, इस संदर्भ में उन दोनों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है।
गौरतलब है कि ठाकुर दास शर्मा पूर्व में नगर परिषद के अध्यक्ष रहे है तथा उनके कार्यकाल में करोड़ों के विकास कार्य हुए है। ठाकुर दास इस बार भी अध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदार थे,लेकिन उन्होंने पार्टी की मजबूती के लिए खुद अध्यक्ष न बनकर भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुई निशा शर्मा का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे कर दिया था। लोगों की माने तो दो साल के कार्यकाल में नप कोई नया काम नहीं कर पाई है। कई कार्य ठप्प है, ऐसे में अध्यक्ष उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आना जरूरी था। लोगों ने सरकार व प्रसासन से मांग की है कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर जल्द बैठक बुलाई जाए तथा नए अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव करवाए जाए।