आवाज ए हिमाचल
08 फरवरी।हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स के माध्यम से भर्तियां करने की राह आसान होती नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने आउटसोर्स भर्तियों पर फिलहाल हिमाचल सरकार को राहत देते हुए हाईकोर्ट के आदेशों पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने को कहा है। शीर्ष कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।हिमाचल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस मामले की पैरवी की। उन्होंने अदालत को बताया कि हिमाचल हाईकोर्ट ने 7 नवंबर 2024 को प्रदेश में आउटसोर्स पॉलिसी में होने वाली भर्तियों पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि आउटसोर्स भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए नियम बनाए जाएं। इसके बाद सरकार की ओर से आउटसोर्स पर लगी रोक को हटाने के लिए एक अर्जी दायर की गई। सरकार ने अदालत के आदेशों की अनुपालन करने के लिए एक हलफनामा दायर किया गया।बावजूद हाईकोर्ट ने 8 जनवरी 2025 को प्रदेश सरकार की ओर से आउटसोर्स पर लगी रोग को हटाने के लिए जो अर्जी दायर की गई, उसे रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में वेकेशन चल रही हैं, जिसकी वजह से अति महत्वपूर्ण मामलों में ही सुनवाई की जा रही है। हाईकोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट में वर्ष 2022 में आउटसोर्स पॉलिसी में होने वाली भर्तियों की प्रक्रिया को लेकर एक याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि प्रदेश में विभिन्न विभागों में आउटसोर्स में जो भर्तियां की जा रही है उनमें पारदर्शिता नहीं अपनाई जा रही है। कारपोरेशन के तहत जो कंपनियां रजिस्टर है वही कटघरे के सवाल में है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्स के तहत की जाने वाली नियुक्तियों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगर किसी के साथ कुछ अनहोनी हो जाती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है, इस बात को सुनिश्चित किया जाए। विभाग इसके लिए स्थायी नियुक्तियां को भरने की प्रक्रिया शुरू करें।