आवाज ए हिमाचल
20 अप्रैल। आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ ने स्थायी नीति बनाने की मांग प्रदेश सरकार से की है। इसको लेकर जिलाधीश कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति को ज्ञापन सौंपा। छह सूत्रीय मांग पत्र में सरकारी विभागों में तैनात आउटसोर्स कर्मचारियों के पक्ष में सरकार ने कई सराहनीय फैसले लिए हैं, लेकिन स्थायी नीति नहीं बनाई है। मुख्य मांगों में सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को ईएसआइ तथा भविष्य निधि अंशदान में सम्मिलित करना आदि शामिल है। आउटसोर्स कर्मचारियों को वैसे तो ईपीएफ के लिए संबंधित विभाग व सेवा प्रदाता वित्तीय लाभ सम्मिलित करते हैं।
लेकिन कुछ विभागों में अभी भी ये सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। नियोक्ता सेवा प्रदाता से इस बारे में विस्तृत अधिनियम व नियम के अनुरूप दिशा निर्देश जारी करने की कृपा करे।कुछ विभागों, बोर्डों तथा निगमों में आउटसोर्स कर्मचारियों को वार्षिक वेतन भुगतान दिया जा रहा है, जबकि अधिकांश विभागों में अभी आउटसोर्स कर्मचारियों को वार्षिक वेतन वृद्धि का वित्तीय लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसीलिए सभी विभागों में अनुरूपता लाने के लिए सभी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाए।
आउटसोर्स कर्मचारी सरकारी एजेंसियों के माध्यम से सेवाएं प्रदान करें
नौकरी की सुरक्षा प्रदान की जाए
ज्यादातर आउटसोर्स कर्मचारी जिन्होंने अपने जीवन का बहुमूल्य समय विभिन्न विभागों में सेवा प्रदान करने के लिए दिया है, उन्हें विभाग द्वारा नियमित आधार पर अन्य कर्मचारी की नियुक्ति पर आउटसोर्स कर्मचारी को विभाग से निकालने का डर रहता है। उस समय उम्र के हिसाब से आउटसोर्स कर्मचारियों को अन्य नया काम मिलने के अवसर न के बराबर होते है व आउटसोर्स कर्मचारी पर आश्रित परिवार को पालन पोषण करना बहुत ही कठिन हो जाता है।
आउटसोर्स कर्मचारियों के आरक्षण की व्यवस्था की जाए
आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी पूरे राज्य में लागू की जाए। चयन आयोग के माध्यम से भरे जाने वाले पदों में आउटसोर्स कर्मचारियों के आरक्षण की व्यवस्था की जाए।