आईटीआई शाहपुर में जन-संवाद कार्यक्रम का आयोजन

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आवाज़ ए हिमाचल

26 अक्तूबर । औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान शाहपुर में बीते दिन केंद्रीय भूमि जल बोर्ड उत्तर क्षेत्र हिमालयन धर्मशाला के तत्वावधान में भू-जल अन्वेषण एवं भू-जल संसाधन पर एक दिवसीय जन-संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जल संसाधन मंत्रालय केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा केंद्रीय भूमि जल बोर्ड उत्तर क्षेत्र हिमालयन धर्मशाला के द्वारा किया गया। जिसकी अध्यक्षता जे.एन. भगत निदेशक केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड, उत्तरी हिमालय क्षेत्र धर्मशाला ने की। जिसमें औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के प्रधानाचार्य डाॅ0 तरूण कुमार, ग्रुप-अनुदेशक, अनुदेशक और फिटर, टर्नर, मशीनिस्ट, पल्मबर, पम्प आपरेटर व्यवसायों से लगभग 250 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। विभाग के द्वारा केंद्रीय भूमि जल बोर्ड उत्तर क्षेत्र हिमालयन धर्मशाला की उपलब्धियों के बारे में बताया गया।

इस कार्यक्रम में यह भी विस्तार से बताया गया कि विभाग किस प्रकार से भूमिगत जल को भूमि से निकालता है। भूमि का प्रशिक्षण करके कि मिट्टी कैसी है और उसमें किस प्रकार के तत्व मौजूद है यह सबसे अहम सवाल होता है। जे.एन. भगत ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को बहुत ही बारीकी से सभी पहलूओं को समझाया तथा भूमि में लगातार कम हो रहा जलस्तर को चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह से जल का स्तर कम होता गया तो आने वाली पीढ़ी के लिए एक समस्या उत्पन्न हो जाएगी। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए विभाग से आए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजय पांडे ने भी भूमिगत जल के विषय के उपर प्रकाश डाला तथा बोरिंग मशीन के पहलूओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि पानी के सदुपयोग के बारे हर व्यक्ति को सचेत रहने की आवश्यकता है।

अन्यथा भविष्य में यह समस्या विकराल रूप धारण कर लेगी। लोग पानी का सही प्रयोग कर कम हो रहे जलस्तर पर रोक लगा सकते हैं। हवा के बाद मनुष्य के जीवन में पानी का महत्व है। इसके सरंक्षण के लिए हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी पड़ेगी। विभाग से आए वैज्ञानिक डाॅ. विद्या भूषण ने स्लाइड के द्वारा बोरिंग मशीन के पार्ट्स के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई और किस प्रकार की भूमि में किस प्रकार की मशीनरी द्वारा बोरिंग की जाती है, की जानकारी दी। उधर, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान शाहपुर से समुह-अनुदेशक मनोज कुमार ने कहा कि हम सब युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए केंद्रीय जल बोर्ड के यह प्रयास सराहनीय हैं।

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