अवैध कब्जे हटाने के मामले में यथास्थिति बनाए रखने के सुप्रीम आदेश, जानें पूरा मामला

Spread the love

आवाज ए हिमाचल

15 अक्टूबर।सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के 5 अगस्त 2025 के फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की खंडपीठ ने त्रिलोचन सिंह बनाम राज्य हिमाचल प्रदेश व अन्य मामले की सुनवाई में दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम 1954 की धारा 163-ए को असांविधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था। यह धारा वर्ष 2000 में अधिनियम में जोड़ी गई थी, जिसका उद्देश्य सरकारी भूमि पर एकमुश्त नियमितीकरण के माध्यम से अवैध कब्जाधारकों को राहत देना था।

इसके तहत 15 अगस्त 2002 तक कुल 1,67,339 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें लगभग 24,198 हेक्टेयर भूमि पर कब्जों की बात सामने आई थी। धर्मशाला निवासी याचिकाकर्ता त्रिलोचन सिंह ने भी 8 अगस्त, 2002 को आवेदन किया था। उनका कहना है कि वे अवैध अतिक्रमणकारी नहीं हैं, बल्कि ग्राम पंचायत से उन्हें विधिसम्मत रूप से भूमि पट्टे पर मिली थी। वे पांच दशकों से वहीं निवास कर खेतीबाड़ी कर रहे हैं। आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने उनका पक्ष सुने बिना आदेश पारित किया, जिससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ। अदालत ने मामले की सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए सरकार को निर्देश दिया कि अवैध कब्जा हटाने की प्रक्रिया 28 फरवरी तक कानून के अनुसार पूरी की जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *