आवाज ए हिमाचल
29 अप्रैल। भारत में कोरोना की दूसरी लहर से हालाक बेकाबू हो चुके हैं। देश में ऑक्सीजन और दवाओं की कमी महसूस की जी रही है। इस कारण देश में मरीजों की हालत अस्पतालों में बिगड़ रही है। ऐसे में भारत की मदद के लिए अमेरिका ने हाथ आगे बढ़ाए हैं। आज अमेरिका से मदद की पहली खेप भारत पहुंचने वाली है। अमेरिका आने वाले दिनों में भारत को 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की मदद की एक पूरी श्रृंखला भेज रहा है। इसमें ऑक्सीजन, दवाओं समेत कई अन्य सामान होंगे। आज विमान से पहली खेप भारत पहुंचने वाली है।
अमेरिका के व्हाइट हाउस की ओर से जानकारी दी गई है कि अमेरिका आने वाले दिनों में भारत को 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की COVID-19 राहत सामग्री मुहैया कराएगा। व्हाइट हाउस ने कहा कि भारत के लिए तत्काल स्वास्थ्य आपूर्ति ले जाने वाली पहली उड़ान आज वहां पहुंचेगी। अमेरिकी एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट ने बुधवार की रात दुनिया के सबसे बड़े सैन्य विमान ट्रेविस एयर फोर्स बेस से उड़ान भरी।
अमेरिका में भारतीय राजदूत ने क्या कहा ?
अमेरिका में भारतीय राजदूत टीएस संधू ने बताया कि आज शाम, यूएस का सी -5 विमान, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन नियामक और अन्य आवश्यक आपूर्ति के साथ, कैलिफोर्निया से उड़ान भर चुका है और उसके दिल्ली में उतरने की उम्मीद है। शायद इस तरह की और भी चीजें होंगी, जो की जाएंगी।
अमेरिका से मदद में क्या-क्या आ रहा है ?
यूएसएआईडी ने कहा कि शिपमेंट में 440 ऑक्सीजन सिलेंडर और नियामक शामिल हैं, जिसे उदारता से कैलिफोर्निया राज्य द्वारा दान किया गया है। इसके अलावा, इस पहली उड़ान में यूएसएआईडी 960,000 रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट भेज रहा है ताकि भारत में कोरोना के सामुदायिक प्रसार को रोकने में मदद करने के लिए संक्रमणों की पहचान की जा सके। इसके अलावा भारत के फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स की सुरक्षा के लिए 100,000 एन 95 मास्क बनाए गए।अमेरिकी मदद की पहली खेप कल तक दिल्ली पहुंच जाएगी। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारत मुख्य तौर पर अभी आक्सीजन उपलब्धता बढ़ाने वाली मशीनें या रेमडेसिविर जैसी दवाइयां ही विदेश से मांग रहा है। कई देशों की तरफ से पीपीई किट्स या मास्क अपनी तरफ से ही दिए जा रहे हैं। विदेशी मदद को भारत खुले दिल से स्वीकार कर रहा है। भारत की जरूरत को देखते हुए कुछ देशों ने बड़े आक्सीजन प्लांट लगाने का प्रस्ताव किया है, लेकिन उन्हें लाने और यहां स्थापित करने की दिक्कतों को देखते हुए इस बारे में विचार किया जा रहा है।