आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर मिलने वाली लीव एनकैशमेंट के लिए 12 मार्च, 2013 से लागू वन टाइम सेटेलमेंट फार्मूले को खत्म कर दिया है। सरकार को यह फैसला हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद लेना पड़ा। हिमाचल हाई कोर्ट ने पहली दिसंबर, 2022 को अनीता गुप्ता बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार के केस में यह फैसला दिया था। इस फैसले के बाद अब 2016 के बाद सेवानिवृत्त हुए सभी कर्मचारियों के लिए लीव एनकैशमेंट का रास्ता खुल गया है। वित्त विभाग के सचिव अक्षय सूद की ओर से कार्यालय आदेश जारी किया गया है, जिसमें हाई कोर्ट के आदेश को सभी विभागों के ध्यान में लाया गया है। इसका अर्थ यह है कि अब पेंशनरों को लीव एनकैशमेंट के मामले में वन टाइम सेटेलमेंट फार्मूले के तहत एक ही बार मिलने वाली एकमुश्त धनराशि की व्यवस्था बदल जाएगी। हिमाचल सरकार ने पहली जनवरी, 2016 से नया वेतन आयोग लागू होने के बाद डीसीआरजी को भी संशोधित कर दिया है।
ऐसे में लीव एनकैशमेंट भी संशोधित वेतनमान के जरिए ही अब देय होगी। सरकारी कर्मचारियों को अधिकतम 10 महीने की बेसिक पे के बराबर रिटायरमेंट पर लीव एनकैशमेंट मिलता है। 12 मार्च, 2013 को जारी किए गए इस फार्मूले को 30 सितंबर, 2020 को सीनियर आर्किटेक्ट के पद से रिटायर हुई अनीता गुप्ता ने चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को भी निर्देश दिए हैं कि सभी पेंशनरों को इसी अनुसार डील किया जाए, ताकि अनावश्यक लिटिगेशन से बचा जा सके। यही कारण है कि राज्य सरकार के वित्त विभाग ने इस केस में 25 अप्रैल, 2023 को कार्यालय आदेश जारी कर दिया है। इसके बाद पहली जनवरी, 2016 से रिटायर पेंशनरों को रिवाइज्ड पे स्केल के वेतनमान के अनुसार डीसीआरजी की तर्ज पर ही लीव एनकैशमेंट मिलेगी। तीन जनवरी, 2022 को लागू हुए नए वेतन आयोग के बाद वित्त विभाग ने पेंशनरों के लिए भी जनवरी 2016 के सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों की डीसीआरजी और पेंशन रिवाइज करने के निर्देश फरवरी 2022 में दिए थे, लेकिन पे-स्केल रिवाइज होने के बाद इससे पहले रिटायर हो चुके कर्मचारियों को लीव एनकैशमेंट नहीं मिलती थी। इसी वजह से अमिता गुप्ता ने हाई कोर्ट में इस मामले को चुनौती दी। हाई कोर्ट ने कर्मचारी के पक्ष में फैसला दिया है, जिसके बाद 2016 के बाद रिटायर हुए पेंशनरों को राहत मिल गई है।