आवाज़ ए हिमाचल
बिलासपुर। जन्म से गूंगे व बहरे बच्चे अब न सिर्फ सुन सकेंगे, बल्कि बोलकर अपनी अभिव्यक्ति भी शिद्दत से दर्ज करने में समर्थ होंगे। एक ऐसा ही केस बिलासपुर एम्स के अनुभवी चिकित्सकों की मेहनत से सक्सेस हुआ है। एम्स के ईएनटी डिपार्टमेंट के चिकित्सकों ने पांच साल के ऐसे बच्चे का सफल आपरेशन किया है, जो बच्चा जन्म से ही मूक और बधिर था। इस करिश्मे को करने वाले डा. डार्विन कौशल एसोसिएट प्रोफेसर ओटोरहिनोलारिंजोलॉजी विभाग (हैड, नेक सर्जरी ईएनटी) ने यह उपलब्धि दिल्ली से विशेष रूप से आए मैंटर डा. राकेश कुमार के साथ की। एम्स ओटोरहिनोलारिंजोलॉजी विभाग (हैड, नेक सर्जरी ईएनटी) के कार्यकारी निदेशक प्रो. डा. वीर सिंह नेगी के संरक्षण में गुरुवार को एम्स की पहली कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक की गई। डा. डार्विन कौशल ने बताया कि अकसर सुनने में आता है कि इस प्रकार के बच्चों को कहा जाता है कि अभी बच्चा छोटा है, इसलिए इसका आपरेशन बड़ा होने पर होगा।
उन्होंने कहा कि हमें इस मिथक से बाहर निकलना होगा, क्योंकि बच्चा जितना छोटा होगा, उसकी सर्जरी करने का लाभ भी उतना ही अच्छा होगा। इसके लिए छह महीने के शिशु से लेकर छह साल तक के बच्चों का आपरेशन करने का सही समय है। क्योंकि इस सर्जरी के बाद बच्चे का एक प्रकार से दूसरा जन्म होता है और उसे एक बार शुरू से सीखना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के तहत कानों के की मशीन फ्री दी जाती है। इस मशीन की बाजार में कीमत छह लाख है। ऐसे में कमजोर परिवार या अज्ञानतावश लोग इस इलाज के बारे में सोचना ही बंद कर देते हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ की मानें तो सुनना और बोलना आवश्यक ही नहीं बल्कि सभी का अधिकार है, ऐसे में इस प्रकार के बच्चों के लिए बिलासपुर एम्स उम्मीद की नई किरण लेकर आया है।