आवाज़ ए हिमाचल
18 नवंबर। वीरवार को सुप्रीम कोर्ट नेबाम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि स्किन टू स्किन के संपर्क के बिना नाबालिग को छूना यौन उत्पीड़न के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट्ट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की तीन-सदस्यीय पीठ ने बताया कि
गलत मंशा से किसी भी तरह से शरीर के सेक्शुएल हिस्से का स्पर्श करना पॉक्सो एक्ट का हिस्सा माना जाएगा। अदालत ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि कपड़े के ऊपर से बच्चे का स्पर्श यौन शोषण नहीं है। ऐसी परिभाषा बच्चों को शोषण से बचाने के लिए बने पोक्सो एक्ट के मकसद ही खत्म कर देगी।