अनीश ठाकुर ने 65वीं बार किया रक्तदान

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आवाज़ ए हिमाचल 
                    अभिषेक मिश्रा बिलासपुर
30 नवंबर। रक्तदान वास्तव में ही सबसे बड़ा दान है क्योंकि जब रक्त की जरूरत होती है तो अपने ही पैर पीछे सरकना शुरू कर देते हैं तब ऐसे रक्तदानी सामने आते हैं जिनका जुनून केवल मानवता की सेवा करना होता है। बिलासपुर में ऐसे रक्तवीरों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है जो भविष्य के लिए अच्छी बात है। नगर के डियारा सेक्टर के स्थायी निवासी अनीश ठाकुर भी इसी ऋंखला की एक ऐसी कड़ी है जिन्होंने बीते रोज एक जरूरतमंद को रक्तदान कर न सिर्फ उनके जीवन को बचाया है बल्कि रक्तदान की कड़ी में यह उनका 65वीं रक्तदान रहा। रक्त के जरूरतमंद लोगों के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले अनीश ठाकुर ने कोरोना काल में भी अहम भूमिका निभाई है।
यह हालात ऐसे थे जब घरों से निकलना भी मुश्किल था जबकि अस्पताल में जाना तो जान को जोखिम में डालने के बराबर था। ऐसी परिस्थितियां भी अनीश ठाकुर के हौंसलों को तोड़ नहीं पाई, उन्होंने इस काल में भी बाकायदा कोरोना टेस्ट करवाकर पूरी सावधानी बरतते हुए रक्तदान कर समाज में अनूठी मिसाल पेश की। आबकारी एवं कराधान विभाग से सेवानिवृत हुए गुलाब सिंह ठाकुर के पुत्र अनीश ठाकुर को पिता और माता आशा ठाकुर का रक्तदान करने के लिए हमेशा प्रेरणा रूपी सहयोग रहता है। यह युवक ऐसा है जो सदैव दूसरो की मदद के लिए तैयार रहता है। पेशे से ट्रांस्पोटर अनीश ठाकुर को रक्तदान करना अच्छा लगता है। उल्लेखनीय है कि यह रक्तवीर बिलासपुर, मंडी, हमीरपुर, शिमला, चंडीगढ़ में जरूरतमंदों के लिए रक्त का दान कर चुके हैं।
कुछ साल पूर्व जब दनोह के पास दर्दनाक बस हादसा हुआ था तो यह युवा स्वेच्छा से रात्रिपहर में रक्तदान करके आए। रक्त सेवा में अपना सर्वेश्रेष्ठ योगदान देने वाले कमलेंद्र कश्यप की सेवाभावना से प्रेरित अनीश ठाकुर ने 18 वर्ष की आयु में पहली बार रक्तदान किया था, उसके बाद यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। अनीश ठाकुर का मानना है कि यह विज्ञान का ही चमत्कार है कि किसी का रक्त जब दूसरे के शरीर को न सिर्फ जीवन देता है बल्कि जब रक्त का दूसरे के शरीर में प्रवाह होता है तो सोच अदभुत आनंद को प्रफुलित करती है। रक्तदान हर समाजिक एवं धार्मिक विसंगति पर चोट कर इन्सान को इन्सान बनाने की वैज्ञानिक प्रेरणा देता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने भले ही देश को एक सूत्र और सोच में बांध कर रख दिया है, लेकिन मन के भीतर सदियों से बस चुके वायरस के खात्मे के लिए रक्तदान कर करना और इसके महत्व को समझना अतिआवश्यक है। वहीं व्यास रक्तदाता समिति के प्रभारी कर्ण चंदेल ने बताया कि जब भी उनकी समिति की ओर कोई रक्त की जरूरत पड़तही है तो अनीश ठाकुर जैसे रक्तवीर तुरंत मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए अस्पताल पहुंच जाते हैं। कर्ण चंदेल की माने तो मौजूदा हालातों में ऐसे युवा समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

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