अटल टनल बनी 10 हजार फीट ऊंचाई पर मौजूद दुनिया की सबसे लंबी सुरंग, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज

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आवाज़ ए हिमाचल

09 फरवरी।हिमाचल प्रदेश में स्थित अटल सुरंग रोहतांग को आधिकारिक तौर पर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से 10,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग के रूप में प्रमाणित किया गया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने इसके निर्माण के लिए बीआरओ की उपलब्धि के लिए पुरस्कार प्राप्त किया।रक्षा मंत्रालय की ओर से इसकी जानकारी दी गई है।


बता दें तीन अक्तूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल टनल रोहतांग का उद्घाटन किया था। इसके बाद से अटल टनल देशभर के पर्यटकों के लिए पहली पसंद बनी है। वर्ष 1972 में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने लाहौल-स्पीति का दौरा किया था। उस समय उनके जेहन में टनल बनाने का विचार आया था। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने तीन जून 2002 को टनल बनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया था। सोनिया गांधी ने इसकी आधारशिला 2010 में रखी थी।


टनल निर्माण के लिए शुरुआत में 1400 करोड़ का बजट था। लेकिन समय अधिक लगने के कारण इसके बजट में भी इजाफा हो गया। टनल पर करीब 3200 करोड़ खर्च किया गया। इसके बाद तीन अक्तूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल टनल रोहतांग का उद्घाटन किया। टनल बनने से मनाली और लौहाल-स्पीति की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है।


यह 10040 फीट ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी 9.02 किलोमीटर सुरंग है। यह दुनिया की पहली टनल है जिसमें 4जी कनेक्टिविटी मुहैया करवाई गई है। अटल टनल किसी अजूबे से कम नहीं है। यह टनल अपनी विशेषताओं के लिए खास है। टनल में हर 500 मीटर पर आपातकाल सुरंग है, जो टनल के दोनों छोरों पर निकलती है। हर 150 मीटर पर आपातकाल 4जी फोन की सुविधा है। हर 60 मीटर पर सीसीटीवी हैं। अटल टनल रोहतांग के दोनों छोरों पर पूरी टनल का कंट्रोल रूम है। यहां से हर किसी पर पैनी नजर रखी जाती है।


अटल टनल रोहतांग में आपदा की सूरत में एस्केप टनल फंसे हुए लोगों को बाहर निकालेगी। इसे वैकल्पिक तौर पर बनाया गया है। जिसका एक छोर नॉर्थ जबकि दूसरा साउथ पोर्टल में खुलता है। एस्केप टनल में बाकायदा आपात इग्रेस डोर के नीचे दोनों छोरों की दूरी दर्शाने वाले बोर्ड लगाए गए हैं।

अटल टनल रोहतांग को 10 वर्षों में मात्र 3200 करोड़ रुपये में तैयार किया गया है। टनल के निर्माण के दौरान सेरी नाला के पानी के चलते 600 मीटर पैच में चार साल का समय लग गया। अन्यथा वर्ष 2015 में ही टनल बनकर तैयार हो जाती। टनल के ऊपर दो किलोमीटर ऊंचा पहाड़ है। इससे टनल को हैवी सपोर्ट सिस्टम देना पड़ा।

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