अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं गुरु: आचार्य नरेश मलोटिया

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पूज्य मोनी बाबा कुटिया फतेहपुर में धूमधाम से मनाया जाएगा गुरु पूजन दिवस

आवाज़ ए हिमाचल 

बबलू गोस्वामी, नादौन। भारत सहित संपूर्ण विश्व में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 2 और 3 जुलाई को मनाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में भी जगह-जगह पर बड़ी ही धूमधाम और पूर्ण उत्साह के साथ गुरु पूजन किया जाता है।

इसी क्रम में पूज्य मोनी बाबा कुटिया फतेहपुर में भी गुरु पूजन दिवस बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसमें भक्तों और श्रद्धालुओं को गुरु पूर्णिमा दिवस के महत्व से अवगत करवाते हुए गुरु पूजन भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रोफेसर रत्नचंद शर्मा गुरु शब्द की महिमा पर व्याख्यान करेंगे।

गुरुपर्व के महत्व पर जानकारी देते हुए संस्कृत अध्यापक आचार्य नरेश मलोटिया ने बताया कि गुरु के बिना कुछ भी संभव नहीं है। उन्होंने कहा – ‘हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर’ अर्थात् भगवान के रूठने पर गुरु की शरण मिल जाती है, लेकिन गुरु अगर रूठ जाएं, तो कहीं भी शरण नहीं मिलती। समाज और इसके निर्माण की प्रक्रिया में गुरु एक अभिन्न अंग है। हिंदू धर्म में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना गया है अर्थात गुरु ही साक्षात और प्रत्यक्ष देवता है। हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। गुरु शब्द से अभिप्राय है- जो हमारे जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं और हमें ज्ञानी बनाते हैं। गुरु से प्राप्त ज्ञान की ज्योति से ही जीवन में सकारात्मकता आती है। कहा जाता है कि आषाढ़ माह के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों और ऋषि-मुनियों को श्रीमद्भागवत पुराण का ज्ञान दिया था, तब से महर्षि वेदव्यास के शिष्यों ने ही इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाने और इस दिन गुरु-पूजन करने की परंपरा की शुरुआत की। महर्षि वेदव्यास संपूर्ण शास्त्रों के ज्ञाता होने के कारण सब के गुरु हैं, इसी कारण से हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाने लगा।

 

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