आवाज़ ए हिमाचल
ज्वाली। बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों में अक्षय तृतीय को युगादि तिथि कहा गया है। इस दिन से कई युगों का आरंभ हुआ है और भगवान विष्णु के कई अवतार भी हुए हैं। इस दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का भी अवतार हुआ है। इसलिए अक्षय तृतीया का धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्त्व है। ज्योतिष क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल कर चुके जवाली के ज्योतिषी पंडित विपन शर्मा ने बताया कि इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 22 अप्रैल को है। इस बार अक्षय तृतीया बेहद खास है। इस साल अक्षय तृतीया पर सात शुभ योग बन रहे हैं।
इस दिन उच्च के चंद्रमा वृष राशि में होंगे। साथ ही इस दिन आयुष्मान योग होगा। शुभ कृतिका नक्षत्र रहेगा (नक्षत्र स्वामी सूर्य है)। सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग रहेगा। अक्षय तृतीया तिथि 22 अप्रैल को सुबह 7:50 से शुरू होकर 23 अप्रैल को सुबह 7:48 बजे तक समाप्त होगी। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा और हवन करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इसी के साथ आपके जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है। इस दिन विशेष दान पर पवित्र स्नान और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार अक्षय तृतीया 2023 पर 125 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहे हैं।
अक्षय तृतीया का महत्त्व
अक्षय तृतीया के दिन से ही चार धाम की यात्रा भी आरंभ होती है। इस दिन किया गया कार्य का फल अक्षय होता है, यानी उसका कभी नाश नहीं होता है। धार्मिक दृष्टि से देखे तो अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य के कार्य करने चाहिंए। इस दिन सोना खरीदना भी शुभ माना जाता है।