प्रो. बिहारी लाल शर्मा बने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के कुलपति

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हिमाचल के ‘लाल’ का देश में डंका

 

आवाज ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के एक होनहार ‘लाल’ की प्रखर प्रतिभा का देश भर में डंका बजा है। हिमाचल के बिलासपुर जिले के प्रो. बिहारी लाल शर्मा को उत्तर प्रदेश में स्थित देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ’संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय’ वाराणसी का कुलपति नियुक्त किया गया है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आंनदीबेन पटेल ने 19 अगस्त को इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकले व्यक्ति द्वारा यह मुकाम हासिल करना और देश के प्राचीनतम,सबसे बड़े और प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर पहुंचना जहां प्रदेश और क्षेत्र के लिए गौरव की बात है, वहीं प्रदेशवासियों के लिए प्रेरणा भी है। बता दें, बिलासपुर जिले के झंडूता उपमंडल के भदोल गांव के रहने वाले प्रो. शर्मा वर्तमान में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली में प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं देने के साथ साथ विश्वविद्यालय में निदेशक, आईक्यूएसी और चीफ प्रॉक्टर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी का वीसी बनाए जाने की उपलब्धि से जहां समूचा प्रदेश गौरवान्वित हुआ है, वहीं बिलासपुर जिले समेत झंडूता उपमंडल और उनके पैतृक गांव भदोल में खुशी की लहर है। भारत के प्राचीनतम, सबसे बडे़ और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिना जाता है संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की गिनती भारत के प्राचीनतम, सबसे बडे़ और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में है। साल 1791 में शासकीय संस्कृत कॉलेज के रूप में आरंभ हुई यह संस्था समय के साथ अपना महत्व और प्रभाव बढ़ाती रही। देश की आजादी के बाद 1958 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद के विशेष प्रयत्नों से इसे वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में स्तरोन्नत किया गया। दिसबंर 1974 में विश्वविद्यालय का नाम बदल कर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय किया गया। भारत के अलावा नेपाल के महाविद्यालय भी इसके विश्वविद्यालय बनने से पहले से ही इससे संबद्ध थे। अकेले उत्तर प्रदेश के संबद्ध महाविद्यालयों की ही संख्या 1441 थी। इसलिए इस विश्विद्यालय का रुतबा महाविद्यालय रहते भी भारत के साथ ही अन्य देशों के लिए यूनिवर्सिटी सरीखा ही था।

संस्कृत और ज्योतिष में देश के अग्रणी विद्वान हैं प्रो. शर्मा
बता दें, प्रो. बिहारी लाल शर्मा (जन्म- पहली जून, 1966) संस्कृत तथा ज्योतिष के प्रकांड विद्वान हैं और उनका नाम इस क्षेत्र में देश के अग्रणी विद्वानों में आता है। इन विषयों पर रिसर्च को बढ़ावा देने में उनका प्रमुख योगदान और स्थायी प्रभाव रहा है। अदाममिक क्षेत्र में उनकी असाधारण उपलब्धियों के दृष्टिगत ही उन्हें ’संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय’ वाराणसी का कुलपति नियुक्त किया गया है। प्रो. बिहारी लाल शर्मा साल 1997 से श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली में अध्यापनरत हैं। वर्तमान में वे वहां प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं तथा संस्थान में निदेशक, आईक्यूएसी और चीफ प्रॉक्टर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। प्रो. शर्मा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से संस्कृत में अपनी बी.ए, एम.ए करने के बाद राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली से बी.एड, तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली से फलित ज्योतिष में एम.ए तथा पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।

प्रो. शर्मा के पास 25 से अधिक वर्षों का समृद्ध अध्यापन अनुभव है। वे मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद् के सदस्य के साथ ही देश के अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों की अकादमिक और प्रशासनिक समितियों के भी सदस्य हैं। प्रो. शर्मा 20 के लगभग शोधार्थियों को पीएचडी करवा चुके हैं तथा उनकी 4 पुस्तकों के अलावा अनेक संपादन कार्य और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में अनेक रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। प्रो. शर्मा को इसके अलावा कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। प्रो. बिहारी लाल शर्मा का ’संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय’ वाराणसी का कुलपति बनाया जाना हिमाचल प्रदेश के लिए हर्ष का विषय है।

 

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